वॉर टेक प्रदर्शनी में दिखे भविष्य के हथियार,

वॉर टेक प्रदर्शनी में दिखे भविष्य के हथियार, फिंगरप्रिंट और सेंसर वाली बंदूकें हीं नहीं और भी बहुत कुछ

इस वॉर-टेक प्रदर्शनी में खास है एक स्टाल जिसमें गन, रिवॉल्वर और राइफल्स के खास होलस्टर की प्रदर्शनी की गई जो फिंगरप्रिंट तकनीक से काम करते हैं.



नई दिल्ली: सैनिकों का भविष्य वॉर-टेक यानि युद्ध से जुड़ी टेक्नोलोजी में है. एक टेक-सेवी सोल्जर ही भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पायेगा. ये कहना है सेना की दक्षिण-पश्चिमी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर का. वे हरियाणा के हिसार में दो दिन तक चलने वाले वॉर-टेक प्रदर्शनी (25-26 सितबंर) के उदघाटन समारोह में बोल रहे थे.


हरियाणा के हिसार मिलिट्री स्टेशन में भारतीय‌ सेना ने वॉर-टेक (वॉर-टेकनोलोजी) की प्रदर्शनी का आयोजन किया है.‌ इस प्रदर्शनी में सरकारी कंपनियों के साथ साथ प्राईवेट‌ इंडस्ट्री ने हिस्सा लिया है ताकि सैनिकों को मौजूदा समय में सैन्य क्षेत्र में टेक्नोलोजी एडवांसमेंट से रूबरू कराया जा सके.


प्रदर्शनी के उदघाटन के लिए पहुंचे सेना की जयपुर स्थित दक्षिण-पश्चिमी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर का स्वागत वॉरटेक में प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही एक प्राईवेट कंपनी के रोबोट ने किया. इस रोबोट को बेंगलुरू की कंपनी ने सेना के लिए तैयार किया है. ये रोबोट 'जय हिंद' का अभिवादन भी करता है.‌ इसी दौरान लेफ्टिनेंट दनरल आलोक क्लेर ने सैनिकों को आधुनिक तकनीक को करीब से जानने और समझने के लिए प्रोत्साहित किया.


इस वॉर-टेक प्रदर्शनी में खास है एक स्टाल जिसमें गन, रिवॉल्वर और राइफल्स के खास होलस्टर की प्रदर्शनी की गई जो फिंगरप्रिंट तकनीक से काम करते हैं. अगर गन इन आधुनिक 'डिजिटल होल्सटर' में रहेगी तो गन को उससे बाहर वही निकाल सकता है जिसके फिंगर-प्रिंट उसमें पहले से फीड होंगे. कोई दूसरा उस होल्सटर से गन नहीं निकाल पाएगा. अगर कोई ऐसा करता है तो गन का ट्रिगर टूट जायेगा और हथियार खराब हो जायेगा.


कश्मीर और नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार ऐसीं खबरें आती रहती हैं जहां आतंकी सुरक्षाबलों से उनके हथियार छीन कर भाग जाते हैं यहां लूट कर ले जाते हैं. फिर इन्हीं लूटे हुए हथियारों से ये आतंकी सुरक्षाबलों पर फायरिंग और आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं. ये होल्सटर एक खास मैटेरियल का बना है जिसे तोड़ना आसान नहीं है. अगर किसी ने तोड़ने की कोशिश की तो गन ही डैमेज हो जायेगी.


लेकिन कानपुर की एक प्राईवेट कंपनी, 'श्री हंस एनर्जी' ने ऐसे डिजिटल होल्सटर बनाए हैं जो उस हॉल्सटर को इ‌स्तेमाल करने वाले के फिंगर प्रिंट से ही खुल सकेगा. इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (आईए) की मदद से हंस एनर्जी ने एक ऐसी खास चिप बनाई है जिसे अगर किसी गन या राइफल में फिट कर दिया जाए तो ये तक पता चल सकता है कि इस गन से कितने राउंड फायर किए गए हैं या फिर कब और कहां इ‌स्तेमाल हुई है.


इसके साथ ही प्रदर्शनी में गाजियाबाद की एक कंपनी ने बॉर्डर और छावनी की चारदीवारी की सुरक्षा के लिए एक ऐसी स्मार्ट-फैंस तैयार की है जिसे ना तो काटा जा सकता है और ना ही उसपर कोई चढ़ सकता है. यहां तक की अगर उसके करीब कोई आने की कोशिश करेगा तो उसका पता तुरंत कंट्रोल सेंटर में चल जायेगा. इस फैंस में सेंसर्स के साथ साथ खास ऑपटिकल कैमरा लगे हैं जिनकी रेंज करीब 10 किलोमीटर है.


वॉर-टेक प्रदर्शनी में दिल्ली की एक कंपनी ने हिस्सा लिया जिसने रूस की मदद से एक ऐसा वॉटर-प्यूरीफाइर पाउच बनाया है जिसे जंगल‌ और दूर दराज के इलाकों में सैनिक लेकर जा सकते हैं. जंगल में अगर सैनिकों को गंदा पानी मिलता है पीने के लिए तो इस पाउच की मदद से इंसटेटली पानी को प्यूरीफाइ किया जा सकता है. इसके लिए कंपनी ने रूस में पाए जाने वाले एक खास पत्थर, सुंगाइट का इस्तेमाल किया है.

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